"दास्तां खुशियों की" राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से श्रीमती लक्ष्मी बनी आत्मनिर्भर

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जिले में ग्रामीण महिलाओं और परिवारों के जीवन में परिवर्तन लाने का एक प्रमुख स्तंभ बन गया है। यह मिशन न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता और सामाजिक प्रतिष्ठा दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एनआरएलएम के प्रयासों से कई महिलाएं आज सफल उद्यमी बन चुकी हैं जो अपने गांवों और समुदायों में प्रेरणास्रोत बनकर उभरी हैं।
लक्ष्मी छेरके का संघर्ष से सफलता तक का सफर- लक्ष्मी छेरके जिले के बिछुआ विकासखंड के छोटे से गांव पिलकापार में रहने वाली एक आदिवासी महिला ने अपने जीवन को एक नए मुकाम पर पहुंचाया है। आर्थिक कठिनाइयों और परिवार की जिम्मेदारियों के बीच रहते हुए उन्होंने अपने परिवार की स्थिति को बदलने का दृढ़ संकल्प किया। वर्ष 2022 में लक्ष्मी ने "रत्नलक्ष्मी स्व-सहायता समूह" की स्थापना की। इस समूह के माध्यम से उन्हें एनआरएलएम द्वारा बीसी सखी बनने का अवसर मिला। आर सेटी छिंदवाड़ा से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने समूह से 60000 रुपये का लोन लिया और अपने गांव में एक कियोस्क सेंटर की शुरुआत की। इस कियोस्क सेंटर के माध्यम से लक्ष्मी ने न केवल अपने गांव बल्कि आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी सेवाएं प्रदान कीं। उन्होंने प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा और अटल पेंशन योजना जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ ग्रामीण परिवारों तक पहुंचाया। लक्ष्मी ने न केवल अपने व्यवसाय को बढ़ाया बल्कि सामाजिक उत्थान का भी हिस्सा बनीं। उन्होंने उन वृध्द और निर्बल लोगों की मदद की जो कियोस्क सेंटर तक नहीं जा सकते थे और उनके घर जाकर आधार कार्ड के माध्यम से राशि आहरण करवाया।
        इसके अलावा अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को और बेहतर बनाने के लिए लक्ष्मी ने पशुपालन व्यवसाय में भी कदम रखा। उन्होंने पशुपालन विभाग से 534000 रुपये का लोन लिया और दूध व्यवसाय की शुरुआत की। इससे उनकी मासिक आय 18000 रुपये से अधिक हो गई जबकि कृषि और पशुपालन से परिवार की आय 15000 रुपये मासिक हो रही है। लक्ष्मी का यह सफर न केवल उनके परिवार के लिए एक आर्थिक स्थिरता लेकर आया बल्कि उनके गांव और समाज में भी एक प्रेरणा स्रोत बना। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से दिखा दिया कि समर्पण और सही मार्गदर्शन से कोई भी व्यक्ति अपने जीवन की दिशा बदल सकता है। आज लक्ष्मी एक सफल बीसी सखी और उद्यमी के रूप में जानी जाती हैं जो समाज में मान-सम्मान के साथ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। लक्ष्मी छेरके का यह सकारात्मक बदलाव उनके आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है और वह आजीविका मिशन को धन्यवाद देती हैं जिसने उन्हें इस रास्ते पर चलने का अवसर दिया।

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