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परिवार को किया गया सम्मानित
भोपाल । अगर ईमानदारी और निष्ठा से कोई काम किया जाए तो उसमे सफलता अवश्य मिलती है। साथ ही जनसामान्य को किसी नेक काम के लिए प्रेरित किया जाए तो वे उस कार्य को मिशन की तरह पूरा करने में आपका साथ देते हैं। ये दोनों ही बातें चरितार्थ हुईं, भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र (बीएमएचआरसी) में, जहां नेत्र रोग विभाग के एक कर्मचारी नरेश तीर्थानी के अथक प्रयास से स्वर्गलोकवासी 61 वर्षीय श्री नामदेव गायकवाड़ का नेत्रदान संभव हुआ और उनकी आंखें एक अन्य जरूरतमंद दष्टिहीन व्यक्ति को प्रत्यारोपित की गईं। इस पुण्य कार्य में सहयोग देने के लिए बीएमएचआरसी द्वारा आज 7 सितंबर को स्व. गायकवाड़ के परिवार को सम्मानित किया गया।
श्री नरेश तीर्थानी ने बताया कि 4 सितंबर को सुबह 9 बजे के दरम्यान जब वे अस्पताल के मॉर्चुरी के सामने से गुजर रहे थे, उन्हें एक शव वाहन खड़ा नजर आया। उसके पास ही शोक में डूबे हुए 39 वर्षीय गौतम गायकवाड़ खड़े थे। जब गौतम से बातचीत की तो पता चला कि सुबह—सुबह उनके पिता श्री नामदेव गायकवाड़ का हार्ट से संंबंधित बीमारी के कारण निधन हुआ है और अब वह मृत शरीर को अपने घर ले जा रहे हैं। जब उनसे नेत्रदान के बारे में पूछा गया नेत्रदान तो उन्होंने ने इस बारे में अनभिज्ञता जाहिर की। नरेश ने उन्हे नेत्रदान के महत्व को समझते हुए काउंसिल किया और बताया कि इस तरह उनके पिताजी की आंखें अमर हो सकती हैं। ये आँखें कम से कम दो लोगों को प्रत्यारोपित की जा सकती हैं और उनकी जिंदगी में रोशनी ला सकती हैं। गौतम ने कहा कि वह इस बारे में अपने परिवारजनों से विमर्श करके बताएंगे। इस बीच नरेश ने नेत्रदान के लिए की जाने वाली औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए सेवासदन नेत्र अस्पताल में फोन किया तथा अपनी विभागाध्यक्ष डॉ हेमलता यादव को भी जानकारी दी और बीच के इस एक घंटे के समय में पुनः परिवारजनों को फोन कर काउंसिल करने समझाने की कोशिश की। इस पर स्व. गायकवाड़ के बड़े बेटे श्री संतोष गायकवाड़ ने बड़े—बुजुर्गों से सलाह मशविरा कर लगभग 15 मिनट बाद नेत्रदान के लिए तैयार हो गए। डॉ हेमलता यादव ने बताया कि समय रहते नेत्रदान हो जाए, इसके लिए हमने सेवासदन अस्पताल प्रबंधन एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ प्रेरणा उपाध्याय से संपर्क किया। उनके सहयोग से सेवासदन अस्पताल की टीम 1 घंटे से भी कम समय में उनके घर पहुंच गई और दोनों नेत्रों के कॉर्निया को सुरक्षित तरीके से निकाल लिया। स्व. गायकवाड़ की दोनों आंख दो अलग-अलग नेत्रहीन व्यक्तियों को प्रत्यारोपित हो चुकी हैं।
जल्द शुरू होगा आईबैंक : बीएमएचआरसी के नेत्र रोग विभाग में प्रोफेसर डॉ अंजली शर्मा ने बताया कि अस्पताल में जल्द ही आईबैंक शुरू हो जाएगा। 90 प्रतिशत कार्य हो चुका है। सिर्फ एक जरूरी मशीन आनी बाकी है। उम्मीद है कि बहुत जल्द आईबैंक शुरू करने की अनुमति मिल जाएगी।
इस असाधारण कार्य के लिए नेत्र रोग विभाग बधाई का पात्र है। नेत्रदान के बारे में लोगों को और जागरूक करने की आवश्यकता है। एक प्रशिक्षित व अनुभवी टीम द्वारा नेत्र से कॉर्निया निकाला जाता है और इससे चेहरा बिल्कुल नहीं बिगड़ता।
डॉ मनीषा श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक, बीएमएचआरसी

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