सतना मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एलके तिवारी ने बताया है कि वर्षा ऋतु में मुख्य रूप से दूषित जल के उपयोग के कारण होने वाली बीमारियां ही प्रमुख रूप से देखी जाती है। दूषित जल के सेवन से उल्टी-दस्त, टाइफाईट पीलिया, हेपेटाईटिस, हैजा आदि जैसी बीमारियां भी फैलती हैं। बीमारियों से बचने के लिए भोजन के पूर्व एवं शौच के पश्चात् साबुन से अवश्य हाथ धोयें। पानी को छानकर कम से कम तीन से पांच मिनट तक उबालकर ठंडा करें और फिर इसे पीने के उपयोग में लें। बड़े पेयजल स्त्रोतों जैसे कुंआ/हैण्डपंप आदि को ब्लीचिंग पाउडर/हाइपोक्लोराइड घोल से जल शुद्धिकरण अपने आशा कार्यकर्ता/लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से कराए। यदि व्यक्तिगत कुंआ है तो जल शुद्धिकरण हेतु आशा कार्यकर्ता से संपर्क करें, दवाई पड़ने के 24 घण्टे के बाद ही पानी पीने के लिए उपयोग में लाएं। ऐसे जल स्त्रोतों को बरसात में प्रत्येक 15 दिवस में जल शुद्धिकरण कराना चाहिए। यदि पीने के पानी में क्लोरीन की गोलियों से जल शुद्धिकरण किया जा रहा है तो इस स्थिति में क्लोरीन गोली डालने के एक घण्टे बाद पानी पीने योग्य हो जायेगा। बासी भोजन एवं खुले में रखे खाद्य पदार्थों का सेवन हानिकारक हो सकता है, इस प्रकार के भोजन से परहेज करना चाहिए। पीने के पानी के बर्तनों की नियमित सफाई, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना, पका हुआ एवं गर्म भोजन करना, शिशु एवं छोटे बच्चों के मल का उचित निपटान करने से उल्टी-दस्त की बीमारियों को रोका जा सकता है। पतले दस्त एवं उल्टी के लक्षणों को नजर अंदाज बिल्कुल ना करें। उल्टी-दस्त होने पर शरीर में पानी की एवं शक्कर की कमी हो जाती है जिससे शरीर का निर्जलीकरण हो जाता है और मृत्यु की संभावना बढ़ जाती है। दस्त लगने पर शरीर में पानी की कमी न होने दें इसके लिए घर पर ही 1 लीटर पानी में 1 चुटकी नमक (5 ग्राम) एवं 4 चम्मच शक्कर (20 ग्राम) एवं 4 चम्मच शक्कर (20 ग्राम) मिलाकर घोल बनाएं एवं रोगी को ’बार-बार यह घोल पिलांए। ओ. आर. एस. पाउडर उपलब्ध है तो एक पैकेट ओ. आर. एस. पाउडर को 1 लीटर पानी में घोलें और पिलाएं इससे मरीज की हालत गंभीर नहीं होगी। उल्टी-दस्त की शिकायत होने पर 108 एम्बुलेंस को बुलाकर नजदीकी अस्पताल पहुंचें।

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